बस इतना चाहता था और आगे भी चाहता रहूंगा कि, सिर्फ़ चंद लोग मिलकर पूरे ब्लोग जगत का माहौल बिगाड सकने की क्षमता रखते हैं तो ऐसे में किंकर्तव्यविमूढ होकर चुप बैठे रहना ऐसे लगता है जैसे अचानक फ़ालिज़ का दौरा पडने पर तन मन सब शिथिल हो गया हो हो ।
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बस इतना चाहता था और आगे भी चाहता रहूंगा कि, सिर्फ़ चंद लोग मिलकर पूरे ब्लोग जगत का माहौल बिगाड सकने की क्षमता रखते हैं तो ऐसे में किंकर्तव्यविमूढ होकर चुप बैठे रहना ऐसे लगता है जैसे अचानक फ़ालिज़ का दौरा पडने पर तन मन सब शिथिल हो गया हो हो ।